जनगणना के आंकड़ों के आधार पर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र तय किए जाने थे, जो 1951 में हो पाया. फिर देश की ज़्यादातर अशिक्षित आबादी के लिए, पार्टी के चुनाव चिह्न डिज़ाइन करने, मतपत्र और मतदान पेटी बनाने से जुड़ी समस्याएं थीं. मतदान केंद्र बनाए जाने थे. साथ ही, यह पक्का करना था कि केंद्रों के बीच सही दूरी हो. मतदान अधिकारियों को नियुक्त कर ट्रेनिंग देना भी जरूरी था. इन चुनौतियों के बीच एक और मुश्किल सामने आ गई. भारत के कई राज्यों में खाने की कमी हो गई और प्रशासन को राहत कार्यों में जुटना पड़ा. इन चुनौतियों को पार करने में समय लगा. हालांकि, आखिर में जब चुनाव हुए, तो योग्य आबादी में से 45.7% मतदाता, पहली बार वोट डालने के लिए अपने घरों से बाहर निकले. भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बना, जहां लोगों ने, लोगों के लिए एक सरकार चुनी.
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