छत्तीसगढ़

मोवा, दलदल सिवनी और सड्डू में भी पाकिस्तानी सटोरियों का आतंक

Nilmani Pal
22 May 2025 5:31 AM GMT
मोवा, दलदल सिवनी और सड्डू में भी पाकिस्तानी सटोरियों का आतंक
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रायपुर। अवैध पाकिस्तानी सटोरियों ने छग के भोले भाले जनता के नाक में दम कर रखा है मेहनत मजदूरी कर पाई -पाई जोड़कर रखते हैं, लेकिन इन अवैध पाकिस्तानी सटोरियों ने वन-टू- का फोर कर उनको कंगाल बनाने पर तुले है। पुलिस प्रशासन छोटे मोटे सटोरियों को पकड़ करअपना इतिश्री कर लेती है। लेकिन बड़े अवैध पाकिस्तानी सटोरिये पकड़ से बाहर रहते हैं। इन दिनों ये अवैध पाकिस्तानी सटोरियो मोवा , दलदल सिवनी औऱ सड्डू को अपना सुरक्षित क्षेत्र मानकर सट्टे का संचालन कर रहे हैं। मटका किंग खत्री को भी पीछे छोड़ा पिछले दिनों एक आईपीएस के साथ सटोरियों की फोटों वायरल होने का बाद भी किसी तरह का कार्रवाई नहीं होने पर इन दिनों सटोरियों के हौसले बुलंद है। क्योकि फोटो वायरल होने के बाद अवैध पाकिस्तानी सटोरियों लगने लगा था की पुलिस के हाथ जल्द ही उनके गिरेबान पर होगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं होने से अवैध पाकिस्तानी सटोरिए दुगने उत्साह से रायपुर,दुर्ग,तिल्दा,भाटापारा,चकरभाठा सहित पूरे छत्तीसगढ़ में बुकिंग कर रहे हैं। कुछ सटोरियों ने बताया की यहा के अवैध पाकिस्तानी सटोरिए मुंबई के मटका किंग खत्री को भी पीछे छोड़ दिए हैं। पक्ष-विपक्ष के छुटभैइए नेताओं के अलावा खाकी भी अब इनके एहशान तले दबे नजर आरहे हैं। इसी का फायदा ये अवैध पाकिस्तानी सटोरिए उठा रहे हैं।

जो है नाम वाला वही तो बदनाम के तर्ज पर छत्तीसगढ़ को अवैध पाकिस्तानी सटोरियों ने बदनाम कर रखा है। मिलावट के खेल में ये अवैध पाकिस्तानी महारथी तो थे ही अब सट्टे के बड़े खाईवाल के रूप में भी नाम कमा लिया है और मिलावट का काम छोटे पाकिस्तानियो को सौंप दिया है। छत्तीसगढ़ में नकली खोआ , नकली पनीर, नकली दूध, नकली चावल के आलावा जुटे चप्पल और कपडे भी नकली मिल रहे हैं। देश में सेवाधिक नकली सामने का जखीरा छत्तीसगढ़ में पकड़ में आता है। इन अवैध पाकिस्तानियो ने छत्तीसगढ़ की पावनधारा को नकलीगढ़ बना दिया है। उसी तरह छत्तीसगढ़ को भी सट्टा में बहुत आगे ले जा रहे हैं। देश में सट्टा का जन्मदाता के रूप में राजस्थान के फलौदी को जाना जाता है, उसी तरह अविभाजित मध्यप्रदेश से लेकर युवा छत्तीसगढ़ बनने के 25 साल बाद भी यहां फलौदी की तरह सट्टा फल-फूल रहा है.। तिल्दा में भी हवा-पानी से लेकर क्रिकेट और नागपुर-बाम्बे का सट्टा वहां के लोगों के रग -रग में बस चुका है। तिल्दा छत्तीसगढ़ का ऐसा सट्टा का गढ़ है जहां खाईवाल और बुकी दुनिया भर में होने वाले सट्टे से सीधा संपर्क रखते है। तिल्दा में खुलेआम सट्टे का कारोबार पुलिस के लिए चुनौती बना चुका है, देश-विदेश में चलने वाले सट्टे का सबसे बड़ा खाईवालों का क्षेत्र तिल्दा बन चुका है । 2016 में तिल्दा में चार-पांच खाईवाल होते थे । अब जिला क्षेत्र में इंडिया लेवल के 16 बड़े-बड़े बुकी है जो सट्टे की बुकिंग करते हैं।

हद तो तब हो गई जब कांग्रेस पार्टी के कई पार्षद सट्टे के धंधे में मुख्य सरगना है और बड़े-बड़े एप के मालिक है । वर्तमान में गणपति बुक के नाम पर खरोरा से अपना कारोबार चल रहा है फिर भी यह छुटभैयो के संरक्षण में तिल्दा क्षेत्र में अवैध रूप से रह रहे पाकिस्तानी सट्टे के कारोबार जरिए छत्तीसगढ़ सरकार के लिए ही नहीं भारत सरकार के लिए और छत्तीसगढ़ पुलिस के लिए बहुत बड़ी चुनौती के रूप में देखा जा रहा है । 500-1000 करोड़ रूपया सट्टा कारोबार में ट्रांजेक्शन हो रहे है। 2016 से लेकर अब तक राजनीतिक संरक्षण के चलते अपने खानदान के एक सदस्य को भाजपा का भी सदस्य बना दिया है। गणपति एप का सरगना पूर्ण रूप से सट्टे के कारोबार में 500 करोड रुपए कमा चुके है। 2018 से लेकर 2023 तक कांग्रेस शासन काल में सट्टे के बलबूते पैसा बना कर अब पुलिस और छूट भैया नेताओं को पैसा देकर अपना कारोबार सुचारू से चला रहा है । मूलत: पाकिस्तानी निवासी वर्तमान कांग्रेस का पार्षद खुलेआम पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ है।

2016 में मूंग बड़ा ठेला लगाकर बेचने वाला नंदू गजब का खाईवाल निकला कांग्रेस की छत्रछाया में हजार करोड़ का मालिक बनते देर नहीं लगी कांग्रेस नेता ऑनलाइन सट्टे के संरक्षण में छूट भैया और नेताओं के संरक्षण में तिल्दा क्षेत्र में एक तरफा राज कर गजानन बुक के नाम से सट्टे का व्यापार किया और करोड़ों की कमाई की। जबकि नंदू गजब का लडक़ा बबन सट्टा मामले में वांछित अपराधी है जिसे फिलहाल फरार बताया जा रहा है। जिसने गणपति बुक गजानंद बुक, महादेव बुक के मामले में नंदू बाबू के पास 1000 करोड़ का धन सुरक्षित है । बताया जाता नंदू बाबू पाकिस्तान से आने के बाद बहुत गरीबी के दिन मिल मजदूर के रूप में काम करते थे अब 1000 करोड़ के आसामी बनकर तिल्दा नेवरा भाटापारा में कांग्रेस की नेता गिरी कर रहे हैं।

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