
नई दिल्ली | भारत ने अपने रक्षा क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है। केंद्रीय रक्षा मंत्रालय ने ATAGS (Advanced Towed Artillery Gun System) आर्टिलरी गन सिस्टम के लिए कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) से मंजूरी प्राप्त कर ली है। यह गन सिस्टम भारतीय सेना के लिए आत्मनिर्भरता की दिशा में एक अहम कदम है, क्योंकि इस गन को भारतीय रक्षा कंपनियों द्वारा डिज़ाइन और निर्मित किया गया है।
ATAGS, जो कि 52-कैलिबर की लंबी बैरल गन है, 40 किलोमीटर तक की फायरिंग रेंज कवर कर सकती है। यह गन विभिन्न प्रकार के युद्धों में भारतीय सेना को ताकत देने में सक्षम होगी, क्योंकि यह उच्चतम तकनीकी मानकों पर आधारित है और इसकी फायरिंग क्षमता अत्यधिक सटीक है। यह गन सिस्टम भारतीय सेना को अधिक प्रभावी और आत्मनिर्भर बनाने में सहायक साबित होगा।
इस मंजूरी के बाद ATAGS के उत्पादन और उपयोग में तेजी आएगी। इसके अलावा, यह गन भारतीय सेना के विभिन्न टेन्डर्स में भी प्रमुख भूमिका निभाएगी और भारतीय उद्योग को इससे लाभ होगा, क्योंकि यह "मेक इन इंडिया" कार्यक्रम के तहत तैयार की जा रही है। इस कदम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत एक महत्वपूर्ण प्रगति माना जा रहा है।
ATAGS का डिज़ाइन और विकास पूरी तरह से भारतीय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों द्वारा किया गया है, जो भारतीय रक्षा क्षेत्र में नए और बेहतर उपकरणों के निर्माण में सक्षम हैं। इसके निर्माण के लिए सरकार और रक्षा मंत्रालय ने पूरी तरह से स्वदेशी तकनीकी समाधानों को अपनाया है, जिससे यह भारत के लिए एक गर्व की बात बन गई है।
दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले, ATAGS भारतीय सेना को अत्याधुनिक और सटीक गन सिस्टम उपलब्ध कराएगी, जिससे भारत की आर्टिलरी की ताकत में वृद्धि होगी। यह गन किसी भी प्रकार के युद्ध, चाहे वह भूमि, समुद्र या आकाश से संबंधित हो, में भारतीय सेना को अतिरिक्त लाभ देगी।
इस मंजूरी से न केवल सेना को लाभ होगा, बल्कि यह भारत की रक्षा उद्योग में आत्मनिर्भरता की ओर एक और महत्वपूर्ण कदम है। इससे भारतीय रक्षा क्षेत्र को वैश्विक मानकों पर मजबूती मिलेगी और दुनिया भर में भारत की रक्षा प्रौद्योगिकियों का सम्मान बढ़ेगा।
