
वर्ल्ड | तालिबान शासित अफगानिस्तान में नैतिक भ्रष्टाचार के आरोप में हाल ही में दो लोगों को 35-35 कोड़े मारने की सजा सुनाई गई है। यह पहला मौका नहीं है जब तालिबान ने ऐसी सजा दी हो, बल्कि रिपोर्टों के अनुसार, मार्च 2025 में 72 लोगों को कोड़े मारे गए हैं। सजा की यह नीति तालिबान शासन के तहत लगातार बढ़ती जा रही है और दुनिया भर में इसकी कड़ी आलोचना हो रही है।
क्यों बढ़ रही हैं कोड़े की सजाएँ?
तालिबान ने अपने शासन में अफगान समाज में ‘आचार संहिता’ लागू करने के नाम पर सख्त नियम बनाए हैं। नैतिकता के उल्लंघन के आरोप में महिलाओं, पुरुषों और युवाओं को लगातार कोड़े मारे जा रहे हैं। इस प्रकार की सजा तालिबान शासन की सख्ती को दर्शाती है, जो धार्मिक और नैतिक मूल्य के आधार पर कानून व्यवस्था बनाए रखने का दावा करता है।
कोड़े की सजा पर बढ़ती आलोचनाएँ
दुनिया भर में तालिबान की यह नीति व्यापक रूप से आलोचना का कारण बन रही है। मानवाधिकार संगठन और अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस प्रकार की बर्बर सजा की कड़ी निंदा की है। उनका कहना है कि यह सजा न केवल असंवेदनशील है, बल्कि यह अफगानिस्तान में महिलाओं और समाज के कमजोर वर्गों पर अत्याचार करने का एक तरीका बन चुका है।
क्या है तालिबान का पक्ष?
तालिबान का कहना है कि यह सजा समाज में नैतिकता को बनाए रखने और किसी भी प्रकार की अनैतिकता को रोकने के लिए आवश्यक है। उनका मानना है कि यह कदम धार्मिक शिक्षाओं और इस्लामी कानून के तहत लिया गया है, और समाज में अनुशासन को बनाए रखने के लिए इन सजा को लागू किया जा रहा है।
अफगानिस्तान में बढ़ती सजा की दर
तालिबान शासन के तहत कोड़े की सजा की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। मार्च 2025 में, केवल एक महीने में 72 लोगों को यह सजा दी गई थी। यह वृद्धि दर्शाती है कि तालिबान अपने शासन के तहत इन सजा को और अधिक कड़ा बना रहा है, जिससे अफगान नागरिकों को डर और अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है।
